पतंग – (लघुकथा)
पतंग – डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ “यह हरी पतंग किसकी इतनी ऊँची जा रही है?..ज़रा बताना तो?” नीहार ने अपनी सफ़ेद पतंग ऊपर लहराते हुए पूछ लिया, अपने साथी से,…
हिंदी का वैश्विक मंच
पतंग – डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ “यह हरी पतंग किसकी इतनी ऊँची जा रही है?..ज़रा बताना तो?” नीहार ने अपनी सफ़ेद पतंग ऊपर लहराते हुए पूछ लिया, अपने साथी से,…
मुस्कुरा रहे हैं तुम्हारे सज़दे में सर झुकायावो ज़िन्दगी को लुभा रहे हैंहैं आँख नम दर्द से दिल है बोझिलये लब हैं जो मुस्कुरा रहे हैं ।। न जीना-मरना है…
डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ M.A., M.Ed (Gold Medalist), Ph.D (Psychology) भूतपूर्व व्याख्याता- BHU -शिक्षाविद्, -साहित्य सेवी, -समाज सेवी, (साहित्य व समाज सेवा द्वारा देश सेवा) -मनोवैज्ञानिक सलाहकार -देहदान द्वारा मानव…
‘कोरोना-चिल्ला’ कहानी-संग्रह – अनिल जोशी प्रवासी साहित्य में एक सशक्त भूमिका निबाह रही दिव्या माथुर का नवीनतम कहानी संग्रह, कोरोना-चिल्ला, केन्द्रीय हिंदी संस्थान-आगरा की पुस्तक प्रकाशन परियोजना के तहत प्रकाशित…
हिंदी@स्वर्ग.इन कमल किशोर गोयनका दिव्या माथुर इंग्लैंड के प्रसिद्ध हिंदी रचनाकारों में से एक हैं। उनकी रचनात्मकता के कई आयाम हैं —कविता, कहानी, नाटक, अनुवाद, फिल्म, गीत, गज़ल, रेडियो एवं…
गूगल – कुछ प्रेम कविताएं 1. क्या तुम्हारा नाम ’गूगल’ है ?क्यों कि तुम में वो सब है ..जो मैं अक्सर ढूँढता रहता हूँ । 2. मेरा प्रश्न पूरा करने…
कविता बनी टूटते मूल्योंऔर विश्वासों कीशृंखला में जबखुद की खुद से न बनीकविता बनी कल्पना की उड़ान मेंसपनो के जहान मेंमिट्टी के घरोंदे बनातेजब उँगलियाँ सनीकविता बनी फूलों से गंध…
अगले खम्भे तक का सफ़र याद है,तुम और मैंपहाड़ी वाले शहर कीलम्बी, घुमावदार,सड़क परबिना कुछ बोलेहाथ में हाथ डालेबेमतलब, बेपरवाहमीलों चला करते थे,खम्भों को गिना करते थे,और मैं जबचलते चलतेथक…
अनूप भार्गव हृदय से कवि और व्यवसाय से कंप्यूटर सलाहकार अनूप भार्गव को भोपाल में हुए दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रधान मंत्री द्वारा ‘विश्व हिन्दी सम्मान’ से नवाज़ा गया।…
काश कभी ऐसा भी हो काश कभी ऐसा भी होसब नया-नया होआँख खुले सब नया-नया होबस नया-नया होसब नया-नया हो धरती अम्बर चंदा तारेनदियाँ पर्वत और नज़ारेसब में एक उन्माद…
जीवन एक निरंतर खोज है जीवनये मत समझो बोझ है जीवनउठ कर गिरना, गिर कर उठनासुख और दुख का बोध है जीवन किसी मोड़ पर हँसना होगाकुछ राहों पर रोना…
खेल क्या खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा हैसदियों से चल रहा हैहम सबको छल रहा है किस-किस की करें बातसारी ग़म-ए-हयातशतरंज की बिसातबस खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा…
तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलोहै लम्बा पथ तुम चले चलोहै डगर पथिक दुर्गम लेकिनएक आस लिए तुम चले चलो कोई मौसम बाँध नहीं पाएकोई शौक़…
भूमि आओ मिल कर आँसू बोएँइस बंजर ऊसर भूमि मेंकोई पुष्प शांति का खिल जाएशायद फिर अपनी भूमि में ये किसने बोई है नफ़रतकि बंदूक़ों की फसल उगीगोली पर गोली…
सम्पूर्ण होना कल्पना है सम्पूर्ण होना कल्पना हैइक अधूरा ख़्वाब हैसच तो ये है हम सभीआधे-अधूरे लोग हैंपूरे की बस चाह मेंहैं भागते रहते सदाथक चुके हैं हम सभीआधे-अधूरे लोग…
सोने वाले जाग ज़रा जंगल जंगल आग लगी हैबस्ती बस्ती उठे धुआँमौसम तेवर बदल रहा हैसोने वाले जाग ज़रा कब से नोच रहा क़ुदरत कोकबसे धरती रौंदे तूआने वालों को…
जीवन संग्राम जीवन बड़ा संग्राम हैकभी जीत है कभी हार हैकभी सुख यहाँ कभी दुःख यहाँकोई डूबा तो कोई पार हैइस बार की तुम हार काइतना ना मातम करोपंख आशा…
है याद मुझे है याद मुझे वो गलियारावो इक आँगन, वो चौबारावो चंचल बहती शोख़ नदीमादक समीर, वो वन प्यारा वहाँ ऊँचे थे कुछ पेड़ बहुतजो नभ को छिपा ही…
मैं आया हूँ कुछ मायूसों की बस्ती मेंमैं ख़्वाब बेचने आया हूँउन मुर्दों का जो ज़िंदा हैंमैं दिल बहलाने आया हूँ बेनूर निगाहों की ख़ातिरले कर प्रकाश मैं आया हूँमैं…
अजय त्रिपाठी एमबीबीएस; एमएस; एफआरसीएस (जीएल); एफआरसीएस (एड); एफआरसीओफ्थकंसल्टेंट नेत्र रोग विशेषज्ञ, विशेष रुचि के साथओकुलोप्लास्टिक और फेशियल एस्थेटिक सर्जरीरसेल्स हॉल अस्पताल, डडली, यू.के.मानद वरिष्ठ नैदानिक व्याख्याताबर्मिंघम विश्वविद्यालयनिदेशक आइज़ एंड…