हिंदी की राजभाषा यात्रा – (आलेख)
हिंदी की राजभाषा यात्रा ~ विजय नगरकर अभी तक विश्व के अनेक देशों में राजभाषा स्वीकृत नहीं हुई है। इसी तरह राष्ट्रभाषा का भी मामला अनेक देशों में लंबित है।…
हिंदी का वैश्विक मंच
हिंदी की राजभाषा यात्रा ~ विजय नगरकर अभी तक विश्व के अनेक देशों में राजभाषा स्वीकृत नहीं हुई है। इसी तरह राष्ट्रभाषा का भी मामला अनेक देशों में लंबित है।…
स्पेन में हिन्दी – पूजा अनिल मैं यह मानती हूँ कि भाषाएँ नदी की धारा की तरह होती हैं, जहाँ राह मिल गई, उसी तरफ आबाद हो जाती हैं। हमारी…
संतचरित्रकार संत कवि महीपती मराठी संत कवी व संत चरित्रकार महिपती ने उत्तर भारत और महाराष्ट्र के अनेक संतों का परिचय ‘भक्तविजय ‘ मराठी ग्रंथ द्वारा प्रदान किया है। जिसका…
जगद्गुरु संत तुकाराम ~ विजय नगरकर, अहमदनगर, महाराष्ट्र पंढरपुर स्थित विठ्ठल भगवान के वारकरी संप्रदाय के प्रमुख संतों में संत तुकाराम का नाम बहुत आदरपूर्वक लिया जाता है। संत तुकाराम…
गुजराती और हिंदी के अंतर्संबंध – (आलोक गुप्त : पूर्व प्रोफेसर, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय एवं पूर्व फेलो, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला) इस लेख में गुजराती और हिंदी के संबंध…
21वीं सदी में गुजराती कहानी -आलोक गुप्त गुजराती में कहानी लेखन अन्य भारतीय भाषाओं की तरह बीसवीं सदी में ही प्रारंभ होता है। बीसवीं सदी के प्रारंभ में कहानी के…
फीजी और भारत की मिली-जुली संस्कृति डॉ. सुभाषिनी कुमार फीजी द्वीप समूह एक बहुसांस्कृतिक द्वीप देश है जिसकी सांस्कृतिक परंपराएं महासागरीय यूरोपीय, दक्षिण एशियाई और पूर्वी एशियाई मूल की हैं।…
गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य ने अपने गिरमिट अनुभव को ‘फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष’ नामक पुस्तक में…
ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य -रेखा राजवंशी कहा जाता है साहित्य समाज का दर्पण है। ऑस्ट्रेलिया में हिंदी साहित्य का इतिहास अधिक पुराना नहीं है। लगभग चालीस वर्ष पहले हिंदी भाषी…
ऑस्ट्रेलिया में हिंदी शिक्षण -रेखा राजवंशी ऑस्ट्रेलिया भी भारत की ही तरह एक बहु-सांस्कृतिक देश है, जहाँ अनेक देशों के लोग आकर बस गए हैं। यहाँ के खान-पान, रंग, रूप,…
श्येन परों पर ठहरी हिन्दी -डॉ. आरती ‘लोकेश’ दुबई, यू.ए.ई. किसी विदेश भ्रमण के दौरान हर व्यक्ति एक विदेशी भाषा को हर समय सुनने के लिए अपने कानों को तैयार…
डॉ. वेदप्रकाश सिंह ओसाका विश्वविद्यालय जापान में हिंदी भाषा आने से डेढ़ हज़ार साल पहले तत्कालीन सिद्धम लिपि और वर्तमान देवनागरी लिपि में व्यवहृत कुछ वर्ण आ चुके थे। अभी…
6 जून 1799 को पूश्किन का जन्म हुआ, उन्हें उम्र 37 साल की मिली। यह उम्र अंकों में छोटी लगती है लेकिन किए गए काम कहते हैं कि वह सार्थक…