वक्त – (कविता)
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन वक्त यह कैसा वक्त हैकि किसी को कड़ी बात कहोतो वह बुरा नहीं मानता। जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैंउन्हें कोई नहीं जानता खूब…
हिंदी का वैश्विक मंच
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन वक्त यह कैसा वक्त हैकि किसी को कड़ी बात कहोतो वह बुरा नहीं मानता। जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैंउन्हें कोई नहीं जानता खूब…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन देश मेरा देश मेरा हो गया हैसमृद्ध और वैभवशालीदैनिक जरूरतों में शामिल हैफ्रिज, टेलिविजन और मोटरगाड़ी एक दौड़ जिसे निबटा लिया हैबहुतों नेबाकी बस पहुंचने वाले…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन लिखना-दिखना जो लिखता था,वैसा ही तो मैं दिखता था। अभी पुरानी नहीं हुई यह बातधूप धूप थीरंग रंग थेसही नाम हर एक चीज काफूल अगर कागज…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन कंगाली शब्द पहले ही कम थेऔर मुश्किल से मिलते थेदुख-सुख की बात करने कोअब जैसेएक कंगाली सी छा गई है क्या इशारों में हम करें बातेंसर…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन हर ओर जिधर देखो हर ओर जिधर देखोरोशनी दिखाई देती हैअनगिन रूपों रंगों वालीमैं किसको अपना ध्रुव मानूंकिससे अपना पथ पहचानूं अंधियारे में तो एक किरन…
कीर्ति चौधरी कीर्ति चौधरी जी का जन्म सन् 1934 में नईमपुर, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी मां श्रीमती सुमित्रा कुमारी सिन्हा हिन्दी की प्रमुख कवयित्री थीं। अतः उनका…
भारतीय संस्कृति की पैरोकार, जिंदादिल, सुलझी हुई बड़ी बहन जय वर्मा डॉ. संदीप अवस्थी, राजस्थान, भारत “डॉक्टर साहब ने ही मेरी रचनाधर्मिता को नए आयाम दिए। वह (डॉक्टर महिपाल जी,…
ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत –तरुण कुमार ब्रिटेन में हिंदी भाषा की समर्पित सेविका और साहित्य की प्रतिष्ठित रचनाकार जय वर्मा का 22 अप्रैल…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** गंध – स्पर्श यह फूलअपनी सुगंध कोकुछ देर पहले तकपत्तियों में बांधे हुए था स्निग्ध हवा का एक झोंका आयाअब पत्तियां झर रही हैंऔर खुशबू…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** यह शहर : लन्दन यह शहर उग रहा अब सेवार सा चारों तरफइस शहर की भीड़ में हर जन कहीं भटका हुआस्वप्न की इन फाइलों…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** धुंए भरे कमरे में उस धुंए भरे कमरे मेंबहुत लोग नहीं थेलेकिन जो थेवे अपनी उपस्थिति के प्रतिनिरंतर चौकन्ने थेउनकी आंखों में जो परेशानी थीवह…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** वह लड़की एक छोटी-सी लड़की थी वहकोई आठ वर्ष कीएक पवित्र जल-धार की खामोश थिरकन लहर कीजब उसकी आंखों मेंउसके पार मैंने उसे देखा थाएक…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** संकल्प मैं देखता हूं उन्हेंगाते हुए प्रेम-गानअपनी बाहों पर गुदे गुदने को देखकरवे कितने सारे नाम उन परवे कैथरिनें, वे एलिजाबेथेंवे डायनाएं और वे मार्गरटेंफिर…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन *** माइकल एंजेलो ठुमक रही है संगमरमरी शीशों परमैं देख रहा हूंइन पत्थरों पर पड़ती रोशनी की झांइयों मेंतुम्हारी कलाई का स्वप्न-नृत्यऔर मैं कल्पना कर रहा…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** बार बार भारत विद्यार्थी कहते थे-वे भारत देश जा रहे हैंवे भारत देश केवल कुछ पढ़ने-घूमने देखने हीनहीं जा रहे हैंजा रहे हैं वहां वह…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन *** खिड़की के सामने का पेड़ मेरी खिड़की के सामने का यह पेड़सब ऋतुओं में बदला है, परइसे इंसान की तरह मौसमी नहीं कहा जा सकता…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन *** सर विंस्टन चर्चिल मेरी मां को जानते थे सर विंस्टन चर्चिल जानते थे कि भारत क्या है।वे जानते थेक्योंकि वे मानते थे कि भारत ब्रिटिश-साम्राज्य…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव का जन्म आजमगढ़, उ.प्र. में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा वाराणसी के सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल में हुई तथा उच्च शिक्षा पुणे विश्वविध्यालय (1953-1957) और…
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तिरस्कार – डॉ. पद्मेश गुप्त सिमरन को भाई नहीं बहन चाहिए। ‘लड़के बहुत गंद होते है। मारपीट, उछल कूद और चीखने चिल्लाने के अलावा उनको आता ही क्या है? घर…