Category: प्रवासी साहित्य

हम कामयाब हैं – (कविता)

हम कामयाब हैं सफलता के क़दम छोटे,सभी अतिशय अहम होते,हम कामयाब हैं। छोड़ कर निज देश अति प्रिय,आये हैं विदेश दूर,बनाया है स्वदेश इसे,हम कामयाब हैं। संतति से, संस्कृति से,सजाया…

व्यर्थ उम्मीदें – (कविता)

व्यर्थ उम्मीदें अपने हिस्से के ग़म,ख़ुद ही सँभालने होंगेकोई आएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर मंज़िलें अपने ही पैरों केतले मिलती हैंकोई बैसाखियाँ लाएगा,ऐसी तो तू उम्मीद ना कर कल…

आसमान का घर – (कविता)

आसमान का घर मिटाना होगा एक दिननक़्शों से लकीरों कोऔर धरती कोउसका घर लौटना होगा परिंदों को वृक्ष,वृक्षों को ज़मीनज़मीन को नदियाँनदियों को पानीपर्वतों को ख़ामोशीजंगल वासियों कोउनका घर लौटना…

लहरें – (कविता)

लहरें लहरों का ये सागर है या सागर लहर में हैमैं हूँ सफ़र में या मेरी मंज़िल सफ़र में है सजदे में सर झुकाऊँ या सजदा ये सर करूँमैं बेख़बर…

मुसाफ़िर – (कविता)

मुसाफ़िर हर शख़्स मुसाफ़िर है,मुसाफ़िर से गिला कैसाकुछ दूर चला संग वो,फिर उससे गिला कैसा हर शख़्स का किरदार अलग,ख़्वाब अलग, मंज़िल अलगवो राह चला अपनी,राही से गिला कैसा रेशम…

मैं वो नहीं – (कविता)

मैं वो नहीं मैं वो नहींजिसे तुम सुनते होघंटि यों में अज़ानों में। मैं वो नहींजिसे तुम देखते होया पत्थरों मेंया चंद इंसानों में। मैं वो नहींजिसे तुम ढूँढ़ते होअपने…

मेरा क्षितिज – (कविता)

मेरा क्षितिज कितनेबेतरतीब से टुकड़ेज़हन की गलियों मेंबिखरे हैंज़िंदगी केहालात केख़यालात केसवालात के ज़र्रा ज़र्राजोड़ता हूँतरतीब सेलफ़्ज़ दर लफ़्ज़क़ाफ़िया दर क़ाफ़ियाक़तरा दर क़तराहर शब्द लेकिनअलग हैआकार मेंप्रकार मेंमायने में मैंनेहर…

कौन कब कहाँ है – (कविता)

कौन कब कहाँ है कौन कब कहाँ है मिट्टी जानती हैकिसका निशाँ कहाँ है मिट्टी जानती है काशी काबा क्या है है दैरो हरम में क्याकिसमें कहाँ ख़ुदा है मिट्टी…

निशब्द – (कविता)

निशब्द तुमनेबड़ी ख़ामोशी से कहामेरे भीतरचिल्लाते, शोर मचातेमन कोऔर चिल्लाओऔर शोर मचाओथोड़ा और ज़ोर सेऔर तब तक यूँ ही चिल्लाते रहोजब तकतुम्हारे अंतर्मन के पर्दे तुम्हारे मन कीझुँझलाहट सेये नहीं…

हूक – (कविता)

हूक लो कारी बदरिया आई घिरइक हूक उठी हो माई फिरकदम्ब पे कोयल आ बैठीअब देगी कूक सुनाई फिर आँगन में एक साये सालो दिखा वही हरजाई फिरतन मन सिकोड़…

झगड़ा – (कविता)

झगड़ा दिल कहता है पूछ लो जाकरक्या वो मुझसे हैं नाराज़कहती है फिर रूह उबल करआ जाओ तुम अब भी बाज़जाओ मिल आओ दिल बोलाजीने का ये ही अंदाज़काटो दिन…

मायाजाल – (संस्मरण)

मायाजाल – दिव्या माथुर सुबह के 6 भी नहीं बजे थे कि हम घर से निकल पड़े। बेटे ने कार की सीट को गर्म कर दिया था पर फिर भी…

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – (यात्रा संस्मरण)

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – दिव्या माथुर लंदन की यांत्रिकता के चक्रव्यूह से निकल, फुर्सत के कुछ दिन एक ऐसी जगह बिताने का मन था इस बार, जहां प्राचीन तोरण-द्वार-इमारतें हों,…

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – (व्यंग्य)

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – दिव्या माथुर जौर्ज बर्नार्ड शा के मुताबिक पुरुष को चाहिए कि जब तक टाल सके टाले और स्त्री को चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके…

नई नवेली विधवा – (व्यंग्य)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर अन्त्येष्टी-निदेशक की चौकसी में कारों का जुलूस चींटी-चाल से आगे बढ़ा। हैनरी विलियम्स का सजा धजा शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था। ताबूत पर…

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – (व्यंग्य)

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – दिव्या माथुर एक ज़माना था कि जब हम व्हाट्सऐप को प्रभु का वरदान मान बैठे थे, फिर जो वरदानों की बौछार शुरू हुई…

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – (व्यंग्य)

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – दिव्या माथुर शादीशुदा हो या कुँवारे, वैलेन्टाइंस-डे पुरुषों के लिए खासतौर पर एक अच्छी खासी मुसीबत है। बीवियों और गर्ल-फ़्रेंड्स की फ़रमाइशें हफ़्तों पहले शुरू हो…

अनुवाद की अंतरगाथा – (लेख)

अनुवाद की अंतरगाथा – दिव्या माथुर दक्षिण एशिया का जीवंत बहुभाषावाद हमारी साहित्यिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्थानीय और प्रवासी संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करता है। हमें…

नई नवेली विधवा – (लघु कथा)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर हैनरी विलियम्स का शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था; ताबूत पर चम्पा के फूलों से लिखा था ‘माई-डार्लिंग-हब्बी’ और लिलीज़ से गुंधी हुई अन्य…

स्वामी जी – (लघु कथा)

दिव्या माथुर जैट-एयरवेज़ के हवाई जहाज़ में बैठी थी। उड़ान लन्दन से मुम्बई के लिए रवाना हुई ही थी कि मैंने अपने पीछे से एक विदेशिनी की भारी आवाज़ सुनी।…

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