Category: यूरोप

यूरोप

आत्मा के पत्ते – (अनुवाद)

गिओर्गी दारछिश्विली- जॉर्जियाई अभिनेता और कवि हिंदी अनुवाद : गायाने आग़ामालयान मूल कविता : गिओर्गी दारछिश्विली- जॉर्जियाई अभिनेता और कविहिंदी अनुवाद : जॉर्जियाई से गायाने आग़ामालयान *** *** *** आत्मा…

संस्कारों के अंतर – (कहानी)

संस्कारों के अंतर – अजेय जुगरान अनाहिता एक संवेदनशील, बुद्धिमान,पढ़ी-लिखी और देश – विदेश अच्छी तरह से घूम चुकी तैराक थी। वह अच्छे परिवार में पैदा हुई मुंबई की एक…

अच्छा है – (कविता)

अच्छा है सूखा पत्ताबोझिल रिश्ताझड़ जाए तो अच्छा है। मन की पीरनयन का नीरबह जाए तो अच्छा है। काली रातजी का घातढल जाये तो अच्छा है। अमीर की तिजोरीचोर की…

पगडण्डी की तलाश – (कविता)

पगडण्डी की तलाश अपनी कोठरी के छोटे से झरोखे से देखती हूँदूर, बहुत दूर तक जाते हुए उन रास्तों को।पक्की कंक्रीट की बनी साफ़ सुथरी सड़केंखुद ही फिसलती जातीं सी…

गर्वीला प्रेम – (कविता)

गर्वीला प्रेम वो बैठी थी सोफे नुमा कुर्सी पर, कुछ आगे झुकी हुई,घुटनो तक का फ्रॉक और कम ऊंची एड़ी की सेंडल,ठुड्डी को हथेली पर टिकाये हलकी भूरी आँखों में…

उसका मेरा चाँद – (कविता)

उसका मेरा चाँद एक नौनिहाल माँ काएक खिड़की से झाँक रहा थासाथ थाल में पड़ी थी रोटी चाँद अस्मां का मांग रहा थामाँ ले कर एक कौर रोटी काउसकी मिन्नत…

यह भान किसे – (कविता)

यह भान किसे उसके सपनीले धागों मेंमैंने स्व मन के मोती धरेजो माला बनी, वो उसने धरीथे मनके किसके यह याद किसे। रातों के गहरे आँचल मेंकुछ उज्ज्वल से तारे…

यूक्रेन रूस युद्ध में भाषा विवाद का बारूद – (विचार स्तंभ)

यूक्रेन रूस युद्ध में भाषा विवाद का बारूद ~ विजय नगरकर यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष में भाषा विवाद एक महत्वपूर्ण और जटिल पहलू है, जो दोनों…

 वोदका भरी आँखों वाली लड़की – (कहानी)

वोदका भरी आँखों वाली लड़की – शिखा वार्ष्णेय कुछ कुछ किसी ग्रीक लड़की सा डील- डौल था उसका। लंबा कद, भरा हुआ बदन, लंबे काले बाल, और लंबी चौड़ी सी…

एक गायब हुआ द्वीप : सेंटोरिनी – (यात्रा वृतांत)

एक गायब हुआ द्वीप : सेंटोरिनी – शिखा वार्ष्णेय The lost Atlantis – एक ऐसा द्वीप जो एक रात में गायब हो गया। इसके पीछे कई किंवदंतियाँ हैं, जिन्हें कोई…

वो चाचा निकल गए काये – (कहानी)

वो चाचा निकल गए काये – शिखा वार्ष्णेय शाम के चार बजे रहे थे। धूप के साथ पंछी भी लौटने लगे थे। आँगन में पड़े फोल्डिंग पलंग पर राजवंती, अपने…

शिखा वार्ष्णेय – (परिचय)

शिखा वार्ष्णेय ब्रिटेन में आगमनः 2007 जन्मः 20 दिसंबर 1973 स्थानः नई दिल्ली शिक्षा: मोस्को स्टेट यूनिवर्सिटी, मास्को से टी.वी. जर्नलिज्म में परास्नातक (विशेष सम्मान सहित) तथा स्कूली शिक्षा उत्तराखंड…

जब प्रवासी साहित्य ने ब्रिटिश साम्राज्य को झुकने पर मजबूर किया – (विचार स्तंभ)

जब प्रवासी साहित्य ने ब्रिटिश साम्राज्य को झुकने पर मजबूर किया – अभिषेक त्रिपाठी, बेलफास्ट,आयरलैंड हिंदी साहित्य की मुख्यधारा में प्रवासी साहित्य को कई बार ऐसा साहित्य माना जाता है,…

नीदरलैंड में भारत प्रेम – (संस्मरण)

नीदरलैंड में भारत प्रेम – प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी मुझे मार्च 2005 में नीदरलैंड (हॉलैण्‍ड) जाने का अवसर मिला। मेरी नीदरलैंड यात्रा के विचार का शुभारंभ जून 2004 में फ्री…

दिव्या माथुर के ‘कोरोना-चिल्ला’ कहानी-संग्रह की समीक्षा – (समीक्षा)

‘कोरोना-चिल्ला’ कहानी-संग्रह – अनिल जोशी प्रवासी साहित्य में एक सशक्त भूमिका निबाह रही दिव्या माथुर का नवीनतम कहानी संग्रह, कोरोना-चिल्ला, केन्द्रीय हिंदी संस्थान-आगरा की पुस्तक प्रकाशन परियोजना के तहत प्रकाशित…

दिव्या माथुर के कहानी-संग्रह ‘हिंदी@स्वर्ग.इन’ की समीक्षा – (समीक्षा)

हिंदी@स्वर्ग.इन कमल किशोर गोयनका दिव्या माथुर इंग्लैंड के प्रसिद्ध हिंदी रचनाकारों में से एक हैं। उनकी रचनात्मकता के कई आयाम हैं —कविता, कहानी, नाटक, अनुवाद, फिल्म, गीत, गज़ल, रेडियो एवं…

काश कभी ऐसा भी हो – (कविता)

काश कभी ऐसा भी हो काश कभी ऐसा भी होसब नया-नया होआँख खुले सब नया-नया होबस नया-नया होसब नया-नया हो धरती अम्बर चंदा तारेनदियाँ पर्वत और नज़ारेसब में एक उन्माद…

 जीवन – (कविता)

जीवन एक निरंतर खोज है जीवनये मत समझो बोझ है जीवनउठ कर गिरना, गिर कर उठनासुख और दुख का बोध है जीवन किसी मोड़ पर हँसना होगाकुछ राहों पर रोना…

खेल – (कविता)

खेल क्या खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा हैसदियों से चल रहा हैहम सबको छल रहा है किस-किस की करें बातसारी ग़म-ए-हयातशतरंज की बिसातबस खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा…

तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो – (कविता)

तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलोहै लम्बा पथ तुम चले चलोहै डगर पथिक दुर्गम लेकिनएक आस लिए तुम चले चलो कोई मौसम बाँध नहीं पाएकोई शौक़…

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