Category: नितीन उपाध्ये

माँ देवी अहिल्याबाई होळकर – (कविता)

माँ देवी अहिल्याबाई होळकर मन्दिर टूटे, मुरत टूटी, हुआ धर्म पर कुटील प्रहारमाँ देवी अहिल्याबाई ने किया सबका जीर्णोद्धार जनमी किसान के घर में, तो बहू थी वो राजघराने कीराज…

समय पखेरू – (कविता)

समय पखेरू समय पखेरू उड़ता जाता लेकर अपने संग हमेंसुख-दुःख के दिखलाते जाता नए नए से रंग हमें कर्म किया और फल की इच्छा, मानव को संतोष नहींजैसी करनी, वैसी…

मन मंथन – (कविता)

मन मंथन सोचता हूं मन में मेरे जाने क्या क्या चल रहा है,आग जैसे बह रही है, पानी जैसे जल रहा है मेरे अन्दर एक जंगल जाने कब से बस…

सीता-लक्ष्मण संवाद – (कविता)

सीता-लक्ष्मण संवाद सौमित्र तुम्हे हैं धन्यवाद वन निर्जन में पहुंचाते होमेरी नियती के लेखे को पढने से क्यूँ सकुचाते होराजाज्ञा पालन करने में लक्ष्मण व्यर्थ मत करों शोकअपनी गति बहता…

राम भजन – (कविता)

राम भजन रामा रघु नंदना, रामा रघु नंदनाचरण कमल कब ले आओगे दाता मेरे अंगनारामा रघु नंदना कब से तेरी राह निहारूंअपना सब कुछ तुझ पर वीरूंतेरे दरस से जनम…

लेकर के अगला जन्म – (कविता)

लेकर के अगला जन्म जो इस हृदय में है छुपी वो बात न बतला सकूँलेकर के अगला जन्म ही शायद मैं तुझको पा सकूँ संग में हवाओं के बसंती खुशबू…

जोगिया तेरे प्रीत का रंग – (कविता)

जोगिया तेरे प्रीत का रंग न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग मेंचाहूँ मैं रंगना अपने ही ढंग में तेरे ही रंग में रंग जो गई मैंमैं न रही मैं,…

 मन की गाड़ी – (कविता)

मन की गाड़ी मन की गाड़ी रेल गाड़ी छूक छूक चलती हैपीछे पीछे जाती है येतेज़ नहीं चल पाती है येभूले बिसरे कुछ मोड़ों परसीटी जोर बजाती है येइसकी पटरी…

शब्दों के बिन – (कविता)

शब्दों के बिन शब्दों के बिन जाना वो सब, शब्दों से जो परे हैप्रियकर मेरे, मौन के तेरे, अर्थ बड़े गहरे है सामने जब तू छम से आईआँखों में बिजली…

IIश्री रामII – (कविता)

IIश्री रामII माँ-बाप की सेवा करे, उसके ह्रदय में राम हैंजन-जन की जो पीड़ा हरे, उसके ह्रदय में राम हैं तन से यहाँ जो शुद्ध हो, और मन से भी…

उज्जैन महिमा – (कविता)

उज्जैन महिमा बहती है क्षिप्रा यहाँ, यह धरती है महाकाल कीशिक्षा दीक्षा यही हुई थी बलदाऊ गोपाल कीजय जय महाकालबाबा महाकाल सान्दीपनि का आश्रम हमको द्वापर में ले जाता हैमंगल…

माँ अगर मैं जयचंद होता – (बाल कथा)

माँ अगर मैं जयचंद होता नितीन उपाध्ये मोनू की दादी के गाँव से शहर आने की ख़ुशी जितनी मोनू को नहीं होती थी उससे ज्यादा उसके आसपास रहने वाले विक्की,…

डॉ. मधु संधु की लघु कथाओं में स्त्री पात्रों की सामाजिक विडम्बनाओं के प्रति सरोकार – (समीक्षा)

डॉ. मधु संधु की लघु कथाओं में स्त्री पात्रों की सामाजिक विडम्बनाओं के प्रति सरोकार डॉ. नितीन उपाध्ये, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मॉडर्न साइंसेज, दुबई साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज…

‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल – (लेख)

‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल नितीन उपाध्ये “आत्मनिर्भर” मेरे विचार में आज किसी भी व्यक्ति/परिवार/शहर/राज्य/देश का पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर होना सरल नहीं है। अब मैं स्वयं का ही…

सोशल मीडिया :क्या खोया, क्या पाया – (लेख)

सोशल मीडिया : क्या खोया, क्या पाया नितीन उपाध्ये सोशल मीडिया से हमने जो पाया है वह है “दुनिया के किसी भी कोने में जब एक गौरेय्या अपने पंख फड़फड़ाती…

क्या हम केचुएं है ? – (लेख)

क्या हम केचुएं है ? नितीन उपाध्ये आज परसाईयत में श्रद्धेय श्री हरिशंकर परसाई जी का व्यंग्य लेख “केचुवां” पढ़ा। मन में कई ख्याल आये सब एक दूसरे के ऊपर…

नितीन उपाध्ये की लघु कथाएँ

1. चूड़ियाँ “रुक्मि आज तो चलेगी न” गंगी ने खोली का पर्दा हटाकर पूछा। रात भर की जागी आँखों को उठाकर उसने गंगी की तरफ देखा और धीरे से सर…

मोटी सुई – (बाल कथा)

मोटी सुई नितीन उपाध्ये आज शाम से ही गोलू की बेचैनी देखने लायक थी। आज उसने अम्मा से कुछ खाने के लिए भी गुहार नहीं लगाई। वह तो अम्मा ने…

गंगासागर – (कहानी)

गंगासागर नितीन उपाध्ये आज जब से डाकिया जान्हवी दीदी की चिट्ठी दे कर गया है, सारे घर का वातावरण ही बदल गया है। अम्मा तो रसोईघर में जाकर सुबह से…

दाई मां – (कहानी)

दाई मां नितीन उपाध्ये भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब आजादी के गुमनाम नायकों को उचित सम्मान देकर उनकी वीर गाथा आज की पीढ़ी को बताने की…

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