दीपों का पर्व – (कविता)
– रम्भा रानी (रूबी), फीजी *** *** *** दीपों का पर्व दीपों का पर्व आने वाला है,हम सबको भी दीप जलाना है। मन के अंदर जो बसा हुआ,सारे अंधकार मिटाना…
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– रम्भा रानी (रूबी), फीजी *** *** *** दीपों का पर्व दीपों का पर्व आने वाला है,हम सबको भी दीप जलाना है। मन के अंदर जो बसा हुआ,सारे अंधकार मिटाना…
– रम्भा रानी (रूबी), फीजी बस एक पहर ही बाकी है तीन पहर तो बीत गए,बस एक पहर ही बाकी है।जीवन हाथों से निकल गया,बस खाली मुट्ठी बाकी है। सब…
– रम्भा रानी (रूबी), फीजी *** *** *** बचपन की क़ुछ खट्टी -मीठी यादें आज भी मुझे बचपन की वो सब यादें जो याद आती हैं,मन खुशियों से भर जाती…
रम्भा रानी (रूबी) मेरा नाम रम्भा रानी (रूबी) है। वैसे तो मैं मूलरूप से भारत की रहने वाली हूँ। लेकिन पिछले 15-16 वर्षों से फिजी के नान्दी में रहती हूँ।…
उसका नाम – आस्था नवल, वर्जीनया, यू एस ए हम अपने आस पास कितनी ही कहानियाँ बुन सकते हैं। पता नहीं कहानी बुनने की ज़रूरत होती है या कहानी पहचाननी…
अमरीका में आई.ए.एस. आस्था नवल, वर्जीनया, यू एस ए बड़े शहर के पास स्थित एक छोटा शहर अमरीका के छोटे शहर का एक मामूली-सा मोहल्ला। ऐसा मोहल्ला जिसमें रहने वाले…
देवी पूजन – आस्था नवल, वर्जीनया, यू एस ए उत्तराखण्ड के भव्य मंदिरों में से एक मंदिर के सबसे बड़े पुरोहित जी ने अपने बेटे को अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल से…
अमेरिका में हिन्दी एवं देवनागरी लिपि – विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका द यूनाइटेड स्टेट्स आफ़ अमेरिका, देश- दुनिया के सभी लोगों को अपनी और आकर्षित करने…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** सावन——— सावन की रिमझिम बौछारभीग रहा मन भाव पसारटप टप बूँदों सी थिरकूँ मैंगाऊँ पी संग राग मल्हार नाचे मोर पपीहा बोलेफुदक…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** बसंत ऋतु————— ऋतु बसंत की सुन किलकारीसजी धरा की क्यारी-क्यारी। लाल गुलाबी पीले रंग मेंभ्रमरों की गुनगुन ले संग मेंकलियों ने आरती…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** भूल रहे सब भाईचारा————————- हर भाषा कोदूसरी भाषा से ख़तरा हैहर इंसान यहाँतरकीबों का पिंजरा हैकैसे,किससे आगे निकलेकैसे, किसकोपीछे छोड़ेंभाषा हो याराष्ट्र,…
बचपन में देखे थे सपने सोचा, पूरे होंगे एक दिन लेकिन जब वो उम्र हुई कुछ करने की कर जाने की सपनों को सच बनाने की तो सलाह मिली अपनों…
एक ख़ामोशी सी रहती है जाने मुझसे क्या कहती है सोचा करती कि कौन हूँ मैं अपने ही तन में मौन हूँ मैं क्यूँ शांत स्वरूप सी फिरती हूँ कुछ…
विनीता तिवारी की ग़ज़लें – विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** ** *** ** *** ग़ज़ल-1 तेरा मुझसे मुझको चुराना ग़ज़ब है।चुराना, फिर अपना बताना ग़ज़ब है। यूँ ही रात ख़्वाबों…
मालिनी – डॉ स्मिता सिंह मालिनी ने कभी एक निर्णय लिया था कि कभी भी भारत नहीं लौटेगी। आज इतने वर्ष बाद अपने देश की मिट्टी पर कदम रखते ही…
संस्कारों के अंतर – अजेय जुगरान अनाहिता एक संवेदनशील, बुद्धिमान,पढ़ी-लिखी और देश – विदेश अच्छी तरह से घूम चुकी तैराक थी। वह अच्छे परिवार में पैदा हुई मुंबई की एक…
इंद्रधनुष – डॉ स्मिता सिंह सोना और कीर्ति लक्ष्मी जी की दोनों बेटियाँ उनके जन्मदिन को एक भव्य तरीके से मनाने लिए उत्सुक थीं, बिना उन्हें कुछ बताए। इन दोनों…
राजरानी – डॉ स्मिता सिंह रोज़ सुबह ईश्वर को नमन करते समय यह ख़याल आता की वह क्यों भाग्य विहीन हैं। कोई भी उसे सहारा देनेवाला क्यों नहीं है। रानी…
– अनुराग शर्मा ***** घेरे अपने-अपने अपने घेरे में ही, गुनगुनाते रहेपास आना तो दूर, दूर जाते रहे॥ प्रीत हमसे न थी तो जताते नहींप्यार के नाम पर, क्यूँ सताते…
– अनुराग शर्मा ***** वफ़ा वफ़ा ज्यूँ हमने निभायी, कोई निभाये क्यूँकिसी के ताने पे दुनिया को छोड़ जाये क्यूँ॥ कराह आह-ओ-फ़ुग़ाँ न कभी जो सुन पायाग़रज़ पे अपनी बार-बार…