एक दिन सुबह – (कहानी)
एक दिन सुबह अमरेन्द्र कुमार, अमेरिका अपनी नौकरी से रिटायर होने के बाद एक एकदम नये और अंजाने शहर में बसने का फैसला मेरा ही था। फैसलों में किसी की…
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एक दिन सुबह अमरेन्द्र कुमार, अमेरिका अपनी नौकरी से रिटायर होने के बाद एक एकदम नये और अंजाने शहर में बसने का फैसला मेरा ही था। फैसलों में किसी की…
विपक्ष की कलम से – अमरेन्द्र कुमार, अमेरिका आज तक आपने सरकार की बातें ही सुनी हैं। आज मैं विपक्ष आपसे इस लेख के माध्यम से कुछ साझा करना चाहता…
अमरेन्द्र कुमार, अमेरिका ग़ज़ल -1 सब दिन ही मालिक केसब दिन ही हैं अच्छे। तम के झोंके सहतेतन के ये घर कच्चे। हम भी अब हो जाएबच्चे मन के सच्चे।…
उसका नाम – आस्था नवल, वर्जीनया, यू एस ए हम अपने आस पास कितनी ही कहानियाँ बुन सकते हैं। पता नहीं कहानी बुनने की ज़रूरत होती है या कहानी पहचाननी…
अमरीका में आई.ए.एस. आस्था नवल, वर्जीनया, यू एस ए बड़े शहर के पास स्थित एक छोटा शहर अमरीका के छोटे शहर का एक मामूली-सा मोहल्ला। ऐसा मोहल्ला जिसमें रहने वाले…
देवी पूजन – आस्था नवल, वर्जीनया, यू एस ए उत्तराखण्ड के भव्य मंदिरों में से एक मंदिर के सबसे बड़े पुरोहित जी ने अपने बेटे को अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल से…
अमेरिका में हिन्दी एवं देवनागरी लिपि – विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका द यूनाइटेड स्टेट्स आफ़ अमेरिका, देश- दुनिया के सभी लोगों को अपनी और आकर्षित करने…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** सावन——— सावन की रिमझिम बौछारभीग रहा मन भाव पसारटप टप बूँदों सी थिरकूँ मैंगाऊँ पी संग राग मल्हार नाचे मोर पपीहा बोलेफुदक…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** बसंत ऋतु————— ऋतु बसंत की सुन किलकारीसजी धरा की क्यारी-क्यारी। लाल गुलाबी पीले रंग मेंभ्रमरों की गुनगुन ले संग मेंकलियों ने आरती…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** भूल रहे सब भाईचारा————————- हर भाषा कोदूसरी भाषा से ख़तरा हैहर इंसान यहाँतरकीबों का पिंजरा हैकैसे,किससे आगे निकलेकैसे, किसकोपीछे छोड़ेंभाषा हो याराष्ट्र,…
बचपन में देखे थे सपने सोचा, पूरे होंगे एक दिन लेकिन जब वो उम्र हुई कुछ करने की कर जाने की सपनों को सच बनाने की तो सलाह मिली अपनों…
एक ख़ामोशी सी रहती है जाने मुझसे क्या कहती है सोचा करती कि कौन हूँ मैं अपने ही तन में मौन हूँ मैं क्यूँ शांत स्वरूप सी फिरती हूँ कुछ…
विनीता तिवारी की ग़ज़लें – विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** ** *** ** *** ग़ज़ल-1 तेरा मुझसे मुझको चुराना ग़ज़ब है।चुराना, फिर अपना बताना ग़ज़ब है। यूँ ही रात ख़्वाबों…
– अनुराग शर्मा ***** घेरे अपने-अपने अपने घेरे में ही, गुनगुनाते रहेपास आना तो दूर, दूर जाते रहे॥ प्रीत हमसे न थी तो जताते नहींप्यार के नाम पर, क्यूँ सताते…
– अनुराग शर्मा ***** वफ़ा वफ़ा ज्यूँ हमने निभायी, कोई निभाये क्यूँकिसी के ताने पे दुनिया को छोड़ जाये क्यूँ॥ कराह आह-ओ-फ़ुग़ाँ न कभी जो सुन पायाग़रज़ पे अपनी बार-बार…
– अनुराग शर्मा ***** भाव-बेभाव प्रेम तुम समझे नहीं, तो हम बताते भी तो क्याथे रक़ीबों से घिरे तुम, हम बुलाते भी तो क्या वस्ल के क़िस्से ही सारे, नींद…
सुनो बारिश!! सुनो बारिश….कुछ पूछना था तुमसे !क्या नभ के वक्ष से निकली महज़ पानी की बूँद हो तुम?या सागर के खारे पानी को सोखकर उसे अमृत जैसा मीठा बनाने…
सोमा व्यास “ज़िंदगी का उद्देश्य सिर्फ़ ख़ुद को ढूँढना ही नहीं है बल्कि ज़िंदगी ख़ुद के सृजन का भी दूसरा नाम है !!” इन पंक्तियों में पूर्णतया विश्वास करने वाली…
पतंग – डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ “यह हरी पतंग किसकी इतनी ऊँची जा रही है?..ज़रा बताना तो?” नीहार ने अपनी सफ़ेद पतंग ऊपर लहराते हुए पूछ लिया, अपने साथी से,…
मुस्कुरा रहे हैं तुम्हारे सज़दे में सर झुकायावो ज़िन्दगी को लुभा रहे हैंहैं आँख नम दर्द से दिल है बोझिलये लब हैं जो मुस्कुरा रहे हैं ।। न जीना-मरना है…