Category: प्रवासी रचनाकार

हिंदी दिवस पर अनिता कपूर रचित हाइकु – (हाइकु)

हिंदी दिवस पर अनिता कपूर रचित हाइकु 1 प्रवास में भीमहक रही हिन्दीजैसे गुलाब 2 मैं हुई मीरातुमको माना कान्हाहिन्दी बाँसुरी 3 हिन्दी हो तुमभावों की अभिव्यक्तिदिव्य भास्कर 4 चांदी-सी…

इसी पल – (कविता)

इसी पल जब सपाट आवाज़ मेंडुबो देती है उदासीऔर भूल जाते हो तुम बात करनाठीक उस वक्त से मैं मुरझाने लगती हूँठूँठ की तरहक्यों सूखा देते हो तुम मुझेइस मौसम…

बासंती हवा – (कविता)

बासंती हवा पोर पोर में फूल खिले हैंरोम रोम खुशबू से भरानाच रहा है मन मेरा याझूम रहे आकाश धरा दिखे अधिक पीली मुझकोया किसी ने रंग डाली सरसोंमहक रही…

स्पेन में हिन्दी – (शोध आलेख)

स्पेन में हिन्दी – पूजा अनिल मैं यह मानती हूँ कि भाषाएँ नदी की धारा की तरह होती हैं, जहाँ राह मिल गई, उसी तरफ आबाद हो जाती हैं। हमारी…

डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – (कहानी)

डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – उषा राजे सक्सेना मेरी अपनी सांस्कृतिक पहचान और मूल्य जो इस ब्रिटिश समाज के दबदबे में खो गए थे। आज इस इनसेट (इन-सर्विस…

मेरा अपराध – (कहानी)

मेरा अपराध – उषा राजे सक्सेना उन दिनों मेरे पिता पोर्टस्मथ में एक जहाजी बेड़े पर काम करते थे। उनकी अनुपस्थिति और अकेलेपन को न झेल पाने के कारण मेरी…

दर्द का रिश्ता… – (कहानी)

दर्द का रिश्ता… – उषा राजे सक्सेना मिहिर-मंजरी का गठबंधन न तो कोई इत्तफाक था और ना ही किसी दबाव का परिणाम। उनका विवाह माँ दयामयी, मिहिर के माता-पिता और…

उषा राजे सक्सेना – (परिचय)

उषा राजे सक्सेना जन्म : 22 नवंबर, 1943. स्थान : गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत। शिक्षा : स्नाकोत्तर अंग्रेजी साहित्य, गोरखपुर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, ई.एस.एल, लंदन, यू.के.। ब्रिटेन में आगमन :…

विच – (कहानी)

विच शैल अग्रवाल उसका यूं इस तरह से प्रकट हो जाना पूरी तरह से आलोड़ित कर चुका था उसे। ‘तू यहां पर कैसे?… मार्स और वीनस से कब लौटी?’ जैसे…

अड़तालीस घंटे – (कहानी)

अड़तालीस घंटे – शैल अग्रवाल अँधेरा अब भी चारों तरफ पसरा पड़ा था और इक्की-दुक्की कारों के अलावा ट्रैफिक शांत ही था, वरना लंदन कब सोता है! घड़ी देखी तो…

शैल अग्रवाल – (परिचय)

शैल अग्रवाल 21 जनवरी, 1947 वाराणसी, भारत में जन्म व संपूर्ण शिक्षा। 1968 से सपरिवार ब्रिटेन में। 50 से अधिक देशों का भ्रमण । अंग्रेजी, संस्कृत व चित्रकला में स्नातक…

कोख का किराया – (कहानी)

कोख का किराया तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. आज मनप्रीत, हारी हुई सी, घर के एक अंधेरे कोने में अकेली बैठी है। वह तो आसानी से हार मानने वालों में से नहीं…

पासपोर्ट का रंग – (परिचय)

पासपोर्ट का रंग तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “मैं भगवान को हाजिर नाजिर जान कर कसम खाता हूं कि ब्रिटेन की महारानी के प्रति निष्ठा रखूंगा।” अंग्रेजी में बोले गए ये शब्द…

कब्र का मुनाफा – (कहानी)

कब्र का मुनाफा तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “यार कुछ न कुछ तो नया करना ही पड़ेगा। सारी जिन्दगी नौकरी में गंवा चुके हैं। अब और नहीं की जाएगी ये चाकरी”, खलील…

हाथ से फिसलती जमीन… – (कहानी)

हाथ से फिसलती जमीन… तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “ग्रैंड पा, आपके हाथ इतने काले क्यों हैं? आपका रंग मेरे जैसा सफेद क्यों नहीं हैं?…आप मुझ से इतने अलग क्यों दिखते हैं?”…

तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. – (परिचय)

तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. जन्म—21 अक्टूबर, 1952 (जगराँव) पंजाब। शिक्षा : दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. अंग्रेजी, कंप्यूटर कार्य में डिप्लोमा। प्रकाशित कृतियाँ : स्मृतियों के घेरे (समग्र कहानियाँ भाग-1) (2019), नई…

पुस्तक समीक्षा – एहसासों की सिलवटें, विश्वास दुबे, हेग (नीदरलैंड)

विश्वास दुबे मेरे समकालीन और हम उम्र लेखक मित्रों में सबसे करीब हैं इसलिए उनका दूसरा कविता संग्रह प्राप्त हुआ तो बहुत खुशी हुई। हम दोनों नीदरलैंड में रहते हैं…

मैं ब्रह्मा हूँ – (कविता)

मैं ब्रह्मा हूँ मैं ब्रह्मा हूँये सारा ब्रह्मांडमेरी ही कोख से जन्मा हैपाला है इसे मैंनेढेर सा प्यार-दुलार देकरऔर ये मेरे ही जाएमेरी ही गोद काबँटवारा करने पर तुले हैंचिंदी…

कुम्भ स्नान – (कविता)

कुम्भ स्नान मैं नहीं जानतीक्यों आई हूँ मैं प्रयागराजफ़ाफ़ामऊ स्टेशन देखना बदा था भाग्य में या महामंडलेश्वर के आगे नतमस्तक हुजूमऔर किन्नरों के दांत काटे सिक्कों कोमाथे पर ग्रहण करनेया…

महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – (आलेख)

महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – रामा तक्षक मेरा बहुत समय से भारतीय ज्ञान परम्परा और महाकुंभ के बारे में लिखने का…

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